Kavita - 011 - जा तुझे आजाद किया
जा तुझे आजाद किया जा जिले अपनी जिंदगी | मै अब भी तुझको चाहता हु बस यही सोच पछताता हु | जिसको अपना सब कुछ माना अब उसके लिए मै कुछ ख़ास नहीं | क्या बोलू तुमको अब यारो अब मेरा कुछ मेरे पास नहीं | कभी जिससे बिन बात किये दिन जिस का न ढलता था चंद मिंटो की देरी भी जिसको सदियों सी लगती थी | आज वही हो महीनो महीनो मुझसे रुसी रहती है | मेरे मैसेज देख पढ़ती पर वापस कुछ न कहती है | शायद उसको मेरी बाते अब बेमानी सी लगती है या फिर किसे और संग उसको अब नई कहानी लिखनी है | कभी जिसे हर पल याद मेरी आती थी सुबह उठके गुड़ मॉर्निंग का मैसेज मुझसे चाहती थी | बातो बातो मै जिसकी साब दिक्कत हल हो जाती थी | आज उसे मेरी बाते बस एक परेशानी सी लगती है | कैसे भी करके फ़ोन रखने की जल्दी में रहती है | शायद उसको मेरा मिलना अब झंझट सा लगती है या फिर उसको किसे और संग नए बंधन मै बांधना है| मै आज भी उसपे मरता हु | राह मै उसकी ताकता हु | पर उसको मुझसे प्यार नहीं मुझपे अब ऐतबार नहीं | चल कोई ना | जिसको वो दिल से चाहे वो हर पर उसके साथ रहे | उसकी जिंदगी मै खुशिओ का ...