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Kavita - 018 वो दिन भी बहुत हसी थे

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वो दिन भी बहुत हसी थे और रात बड़ी मस्तानी थी जब दो दिलो ने शुरू की अपनी नई कहानी थी|  सुबह भोर से ही गुड़ मॉर्निंग के मैसेज आते थे और साँझ होते ही लगा कान पे फ़ोन बातो में जुट जाते थे | सुबह की पहली चाय से लेके खाने तक की डिटेल दी जाती थी आज नमक था कम चाय मे चीनी ज्यादा थी | पता है बिना बात मम्मी ने आज शिकायत लगा दी थी | जब छोटी छोटी बातो को लम्बा करके बतलाते थे और प्यार मे एक दूजे के लिए गाना भी गाते थे |जब उनकी एक हसी के लिए जोकर भी बन जाते थे और जानू मानु शोना मोना के नाम से उन्हें बुलाते थे | चोरी चोरी चुपके चुपके मिलने उनसे जाते थे | घरवालों से तरह के बहाने ख़ुब बनाते थे| कभी रूठना कभी मनाना ये काम रोज के होती थे | लव यू मिस यू के मैसेज से फ़ोन भी जब भर जाते थे |जब उनको लगी खरोच भी बड़ी चोट सी नज़र आती थी | हर पल करते बात पर फिर भी याद उनही की आती थी | जब सारी दुनिया एक दूजे तक सिमट कर रह जाती थी | वो दिन भी क्या दिन थे और रात क्या मस्तानी थी जब दो दिलो ने शुरू की अपनी प्रेम कहानी थी