Kavita 020 - राधा कृष्णा प्रेम

कभी अगर सृष्टि मे कही कोई प्रेम कहानी आयेगी,कलम बने कृष्णा और स्याही राधा रानी बन जाएंगी।
आओ सखा आज तुम्हे एक अमर कहानी कहते है, अधूरी होकर भी जो पुरे है वो कथा सायानी केहते है।
बात जरा ये तब की है जब प्रेम बहुत हे महंगा था, स्त्री पुरषो के मिलने पर कुंठित प्रथा और राजा महराजाओं का पहरा था।
ऐसे मे गोकुल के ग्वाले को बरसाने की गलिआ भइ थी और बरसाने की गोरी की मन प्रभु छवि बस आई थी।
बाल अवस्था मे हे कृष्णा ने प्रेम अलाप लगा डाला। ब्याह कराओ राधा से यह कह कह माता का माथा दुखा डाला।
रग रग मे उस ग्वाले की राधा रानी छाई थी,दुर देश से ही कृष्णा की मुरली प्रेम संदेसा लाई थी।
मुरली की धुन पर राधा दीवानी सी नाचे है ,भूख प्यास सब भूल बेर बेर हवादान से झाके है।
राधा दर्शन के अभिलाषी, प्रभु चूड़ी बेचने आई है।बरसाने के गालिओ मे दर दर के ठोकर खाए है।
लाल, हरी और नीली पीली सब रंग की चूड़ी लाया हु,जाने कौन रंग जो राधे मन को भाएगा  और उसके मुख पर स्वर्ग सी सुंदरता लाएगा।
प्रेम रंग मे डुबे भगवान् शयद अब भूल गए, जो श्याम रंग मे रंगा हो उसको क्या कोई रंग अब भाएगा।
तेरे सब रंग फीके है, ये कैसी चूड़ी लाया है। लगता दूर देश तू नया व्यापारी आया है।
रंगो  मे रंग बस श्याम रंग, क्या ऐसी चूड़ी लाया है,जो श्याम रंग मे रंगी हुई और श्याम दर्श दिखलेगी।
ले राधा कृष्णा का नाम अब यमुना तट तक चलते है।चोरी चोरी चुपके चुपके राधा कृष्णा सी मिलने आई थी,
और श्याम को कुछ उखड़ा उखड़ा सा पाई थी। लाख मानाने पर भी न माने श्याम जरा इतराए है।
मना मना जब हारगाए,तो राधा शब्द बाण चलते है।
कृष्णा को अपनी सब व्यथा तसाली सी समझती है।नहीं सरल इस युग मे एक स्त्री बन की रहना ।आज तुम्हे मे अपनी सब दिकत
दिखलाऊँगी।
करदो मुझे कृष्णा और खुद राधा हो जाओ न। क्या क्या सेहती ये राधे अब तुम ही मुझे समझो न ।
प्रेम करे सो कृष्णा सा जिसने प्रेम का मान बढ़ा दाल,दे बंसी मुकुट राधे को कृष्णा,ले राधे वस्त्र खुद को राधा कर ड़ाला ।
है सखा इस कथा को अब राधा कृष्णा के चरणों मे अर्पित करते है।लिख सकू राधा कृष्णा वियोग इतनी तो हिम्मत आज नहीं।
युगो युगो सी याद रहा ये आगे भी पूजा जाएगा।कृष्ण नाम से पहले हर पल राधा नाम ही आयेगा। लोभ लालच से दूर ये प्रेम 
समर्पण वाला है।सांसारिक बंधन से ऊपर ये प्रेम तो सच्ची भक्ति वाला है

Comments

Popular posts from this blog

Kavita - 011 - जा तुझे आजाद किया

Kavita - 019 थोड़ा सा सूनापन ,दिल में तेरे जाने का गम