ऐ दोस्त जरा रुक जाना था| नहीं ऐसा कदम उठाना था

ऐ दोस्त जरा  रुक जाना था| नहीं ऐसा कदम उठाना था|
माना बहुत निराश थे| हर जगह से तुम हताश थे|
सपने शायद टूट रहे थे अपने भी तुमसे रूठ रहे थे|
बस थोड़ा धैर्य दिखाना था| नई उम्मीद नए सपनो संग जमकर जोर लगाना था| नहीं ऐसा कदम उठाना था|

माना हर कोशिश नाकाम हुए, जीत से ज्यादा मिली|
नहीं मिला वो प्यार सच्चा | दूर हुआ वो यार अच्छा|
जीवन लगा अधूरा था|  सूनेपन का पहरा भी पूरा था|
बस थोड़ा और विश्वास जगाना था| सिंह सी गर्जन कर सूनापन दूर भागना था|नहीं ऐसा कदम उठाना था|

माना दिल बहुत ही भारी था और सुनने को न कोई याड्डी था |
अंदर अंदर घुटन बहुत थी, और  कपट लोगो का जारी था| बस एक नई कोशिश कर बाधा को लांग के जाना था|
नहीं ऐसा कदम  उठाना था .

कभी कभी जीवन का पहिया कठिन पर जाता है उम्मीद होती गुम  और मस्तिष्क बहुत चकराता है |ऐसे मे खुद को साधो ध्यान धरो और खुद को जानो| भूलो सब चिंताए और खुद से कुछ पल बात करो| कैसे तुम हर मुश्किल को बड़ी हिम्मत से जीता था| रोक न पाता कोई रोड़ा| कैसे हर नाकामी को तोड़ा था| फिर हर निराशा में भी तुम को एक आशा दिख जाएगी| खोए हुए सारी ताकत वापस लौट के आयेगी|
बस थोड़ा धैर्य दिखाना था, नहीं ऐसा कदम उठाना था |

धन्यवाद्
पल दो पल का शायर


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