Kavita - 008 - दिल की हालत

कभी सपनो मे आती हो | कभी यादे सजती हो | मेरे हर एक पल मे मुझको जीना सिखाती हो | न मजनू की न राँझा की कहानी है | ये मेरे दिल की हालत है ये मेरी जिंदगानी है |
न मजनू सा भटकता हु न राँझा सा मचलता हु | तुझे मै याद करके बस यही मदमस्त रहता हु | न कुछ पाने की मंशा है न कुछ खोने की चिंता है | मुझे बस तेरे चेहरे की मुस्कराहट की चिंता है |
तुझे सोच कर ही अब मेरा दिन गुजरता है | न सोचु तुझे तो सब सुना सा लगता है | ना पैसे कमाने की न अब दौलत जुटाने की मुझे बस आरजू है तेरे संग कुछ पल बिताने की |
मैं सोता हु तेरे सपनो | मे जगता हु तेरी यादो क़े साथ | कोई हो न हो तुम रहते हो हरपल मेरे दिल क़े पास | न कुछ और पाने न कुछ और गवाने की मुझे बस आरजू है तुझे अपना बनाने की |
न मजनू की न राँझा की न कान्हा की कहानी है ये मेरे दिल की हालत है ये मेरी जिंदगानी है |

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