Kavita - 014 सन था 2016 उम्र हुए 26
सन था 2016 उम्र हुए 26 | घर वालो ने मुहीम छेड दी करो बेटा शादी एस सून एस प्लीज | फिर क्या अखबारों मे छप गए पर्चे ऑनलाइन अकाउंट भी बनवाए थे और नाते रिश्तेदारों को संक्षिप्त पैगाम भीजवाए थे | अडोसी पडोसीओ ने भी इसमे पूर्ण किआ सहयोग और शादी शादी कर के नरो से गुण उठा धरती लोक | यार दोस्त ने भी फिर अपने रंग दिखाए थे | की कब करेगा शादी और फिर कब बच्चे आयेंगे | भाई चाचा सुनने हम कब तेरे घर पर आयेंगे |यारो मेरी ऐसी वाट लगी की आफत सी बन आई थी | बाइक भी मुझको शादी की घोड़ी लगती ऑफिस मे ससुराल नज़र आई थी | फिर कुछ महीनो बाद फोटो के गठरी आई थी | चुन चुन कर घरवालों ने कुछ कन्याए दिखलाए थी | कोई उनको लगी गुणवान कोई सीधी साधी नज़र आई थी | खूब सुने लेक्चर पर मुझे समाज कोई न आई थी | जाने दिल क्या ढूंढ रहा था समाज मे कुछ न आरा था | शायद किसी रोज किसी ऐसी का फोटो आयेगा | देख के जिसको मेरा दिल भी शादी को चाहेगा | फिर चाहे उम्र 26 या 30 चढ़ आई हो | बेंड बजे संग उसको लेने जाएगा | सन था 2016 उम्र हुए 26