सन था 2016 उम्र हुए 26 | घर वालो ने मुहीम छेड दी करो बेटा शादी एस सून एस प्लीज | फिर क्या अखबारों मे छप गए पर्चे ऑनलाइन अकाउंट भी बनवाए थे और नाते रिश्तेदारों को संक्षिप्त पैगाम भीजवाए थे | अडोसी पडोसीओ ने भी इसमे पूर्ण किआ सहयोग और शादी शादी कर के नरो से गुण उठा धरती लोक | यार दोस्त ने भी फिर अपने रंग दिखाए थे | की कब करेगा शादी और फिर कब बच्चे आयेंगे | भाई चाचा सुनने हम कब तेरे घर पर आयेंगे |यारो मेरी ऐसी वाट लगी की आफत सी बन आई थी | बाइक भी मुझको शादी की घोड़ी लगती ऑफिस मे ससुराल नज़र आई थी |
फिर कुछ महीनो बाद फोटो के गठरी आई थी | चुन चुन कर घरवालों ने कुछ कन्याए दिखलाए थी | कोई उनको लगी गुणवान कोई सीधी साधी नज़र आई थी | खूब सुने लेक्चर पर मुझे समाज कोई न आई थी | जाने दिल क्या ढूंढ रहा था समाज मे कुछ न आरा था | शायद किसी रोज किसी ऐसी का फोटो आयेगा | देख के जिसको मेरा दिल भी शादी को चाहेगा | फिर चाहे उम्र 26 या 30 चढ़ आई हो | बेंड बजे संग उसको लेने जाएगा | सन था 2016 उम्र हुए 26
जा तुझे आजाद किया जा जिले अपनी जिंदगी | मै अब भी तुझको चाहता हु बस यही सोच पछताता हु | जिसको अपना सब कुछ माना अब उसके लिए मै कुछ ख़ास नहीं | क्या बोलू तुमको अब यारो अब मेरा कुछ मेरे पास नहीं | कभी जिससे बिन बात किये दिन जिस का न ढलता था चंद मिंटो की देरी भी जिसको सदियों सी लगती थी | आज वही हो महीनो महीनो मुझसे रुसी रहती है | मेरे मैसेज देख पढ़ती पर वापस कुछ न कहती है | शायद उसको मेरी बाते अब बेमानी सी लगती है या फिर किसे और संग उसको अब नई कहानी लिखनी है | कभी जिसे हर पल याद मेरी आती थी सुबह उठके गुड़ मॉर्निंग का मैसेज मुझसे चाहती थी | बातो बातो मै जिसकी साब दिक्कत हल हो जाती थी | आज उसे मेरी बाते बस एक परेशानी सी लगती है | कैसे भी करके फ़ोन रखने की जल्दी में रहती है | शायद उसको मेरा मिलना अब झंझट सा लगती है या फिर उसको किसे और संग नए बंधन मै बांधना है| मै आज भी उसपे मरता हु | राह मै उसकी ताकता हु | पर उसको मुझसे प्यार नहीं मुझपे अब ऐतबार नहीं | चल कोई ना | जिसको वो दिल से चाहे वो हर पर उसके साथ रहे | उसकी जिंदगी मै खुशिओ का ...
कभी अगर सृष्टि मे कही कोई प्रेम कहानी आयेगी,कलम बने कृष्णा और स्याही राधा रानी बन जाएंगी। आओ सखा आज तुम्हे एक अमर कहानी कहते है, अधूरी होकर भी जो पुरे है वो कथा सायानी केहते है। बात जरा ये तब की है जब प्रेम बहुत हे महंगा था, स्त्री पुरषो के मिलने पर कुंठित प्रथा और राजा महराजाओं का पहरा था। ऐसे मे गोकुल के ग्वाले को बरसाने की गलिआ भइ थी और बरसाने की गोरी की मन प्रभु छवि बस आई थी। बाल अवस्था मे हे कृष्णा ने प्रेम अलाप लगा डाला। ब्याह कराओ राधा से यह कह कह माता का माथा दुखा डाला। रग रग मे उस ग्वाले की राधा रानी छाई थी,दुर देश से ही कृष्णा की मुरली प्रेम संदेसा लाई थी। मुरली की धुन पर राधा दीवानी सी नाचे है ,भूख प्यास सब भूल बेर बेर हवादान से झाके है। राधा दर्शन के अभिलाषी, प्रभु चूड़ी बेचने आई है।बरसाने के गालिओ मे दर दर के ठोकर खाए है। लाल, हरी और नीली पीली सब रंग की चूड़ी लाया हु,जाने कौन रंग जो राधे मन को भाएगा और उसके मुख पर स्वर्ग सी सुंदरता लाएगा। प्रेम रंग मे डुबे भगवान् शयद अब भूल गए, जो श्याम रंग मे रंगा हो उसको क्या कोई रंग अब भाएगा। तेरे सब रंग फीके है, ये कैसी ...
थोड़ा सा सूनापन , दिल में तेरे जाने का गम अब भी बाकी तो है माना हुए कई साल बीते महीने कुछ ख़ास पर तेरे न होने का वो अजीब सा एहसास अभी भी बाकी तो है . वो बैठ अकेले सोच तुझे मुस्काना पर तेरे न होने पर चुप चुप कर रो जाना अभी बाकी तो है बिन वजह तेरी गालिओ में जाना | वो तेरे घर के आगे रुकजाने | वो तुझसे मिल जाने की उम्मीद अभी बाकी तो है बैठ मैखाने में हद से ज्यादा पी जाना और बेहोशी में तुझसे बतलाना ...
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