Kavita - 013 गम का सौदा

ऐ काश किसी चौराहे पर इस गम का सौदा हो जाता | सौदागर भी खुश होता और मेरा दिल भी हल्का हो जाता  |  बिन सोच समझ  बिन मोल भाव अपना सब गम मै उसको दे आता   बदले मै चाहे कंकड़ पत्थर  ख़ुशी ख़ुशी मै ले आता | जाने कितने साल महीने दिल ये दर्द छुपाए बैठा  है | बिखरे टूटे अरमानो का बोझ उठाते फिरता है | अब फीकी सी चेहरे की हसी इसे छुपा ना पारी है | पल पल बस मुझको बीती बात ही याद आरी है | काश कही से कोई गम का सौदागार मिलने आ जाए,  इस गम से भरे हुए इस दिल को हल्का कर जाए | ऐ काश किसी चौराहे पर इस गम का सौदा हो जाता |

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