Kavita - 019 थोड़ा सा सूनापन ,दिल में तेरे जाने का गम
वो बैठ अकेले सोच तुझे मुस्काना पर तेरे न होने पर चुप चुप कर रो जानाअभी बाकी तो है
बिन वजह तेरी गालिओ में जाना | वो तेरे घर के आगे रुकजाने |वो तुझसेमिल जाने की उम्मीद अभी बाकी तो है
बैठ मैखाने में हद से ज्यादा पी जाना और बेहोशी में तुझसे बतलाना अभीबाकी तो है
वो टूट के तुझको चाहना | तेरे लिए कुछ भी कर जाना | तुझको पाने केउम्मीद अभी बाकी तो है|
वो तेरा रोज सपनो में आना | हस कर कुछ कह जाना | वो तेरी मीठी सी हसीकी याद अभी बाकी तो है |
पर तेरी ये रुस्वाई बिन बात के मुझसे लड़ाई भी अभी बाकी तो है |
वो तेरे नज़र चुराना देख के यु मूढ़ जाना | जान के भी अनजान बन जानाअभी बाकी तो है
वो तेरा मुझे जलना वो हुस कर दुसरो से बतलाना अभी बाकी तो है
ये तेरा मुझे भूलना और मेरा तुझे बुलाना अभी बाकी तो है
थोड़ा सा सूनापन ,दिल में तेरे जाने का गम अब भी बाकी तो है
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